फिर याद आ ही गए न तुम
फिर याद आ ही गए न तुम निराश जीवन के कठिनतम क्षणों में .. मन में बवंडर लिए मैं मिला तुमसे और तुम्हारे प्रेम ने मुझे फिर से चलना सिखाया.. तुम्हारी मृदुलता भरे स्पर्श ने सिखलाया मुझे, एक तारा के अस्त होने पर आकाशगङ्गा किस पीड़ा से गुजरती है.. और बादलों के सहसा रीतने पर आसमान किस तरह रोने लगता है! जब-जब तुम मिली मुझसे — मैं पहले से ज्यादा
Read Moreकहीं तुम्हें मेरी नज़र न लग जाए…
मिलन और मेघना की आज़ शादी की पांचवी सालगिरह है। घर पर शाम को एक बहुत बड़ी पार्टी का आयोजन किया है। बड़ी धूमधाम के साथ मेहमान नवाजी होने वाली है। मिलन- “मेघना, आज़ मन करता है कि तुम्हारी इन लंबी काली-काली जुल्फों में उलझ जाऊं और लाल रंग के फूलों का यह ब्रोच लगाऊं।” मेघना- “बहुत खूब! आज़ बड़े रोमांटिक मिज़ाज में लग रहे हैं!” मिलन- “मैं चाहता हूं
Read Moreजलेबी- अशोक पांडे
आज से बारह सौ साल पहले बग़दाद में जन्मे कवि इब्न अल-रूमी अपनी एक कविता में सफ़ेद आटे के गाढ़े घोल को चांदी की उपमा देते हैं जिसे गोल-गोल पका कर शहद में डुबोया जाय तो वह सोने में तब्दील हो जाता है। तमाम किस्से चलते हैं कि दुनिया की सबसे पहली जलेबी किसने बनाई थी। एक बार आन्दालूसिया के बादशाह ने रसोइयों को हुक्म दिया कि रमजान के दौरान
Read Moreपीओजेके पीड़ितों को मिलेगा न्याय- प्रो. रसाल सिंह
आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाते हुए जम्मू-कश्मीर के अपने उन भाइयों और बहिनों को याद करना आवश्यक है जोकि पाकिस्तान के जुल्मोसितम के शिकार हुएI उनके वंशज आजतक भी शोषण-उत्पीड़न सहने और दर-दर की ठोकरें खाने को अभिशप्त हैंI पाक अधिक्रांत जम्मू-कश्मीर के विस्थापितों और वहाँ के वासियों के साथ न्याय सुनिश्चित करना राष्ट्रीय कर्तव्य हैI दरअसल, पीओजेके स्वातंत्र्योत्तर भारत की बलिदान भूमि हैI जम्मू में 8 मई, 2022 को
Read Moreबहुसंख्यकों को अल्पसंख्यक बताने की राजनीति- प्रो. रसाल सिंह
‘अल्पसंख्यक’ का दर्जा मिलने के मामले में जम्मू-कश्मीर का मामला काफी विचित्र और विडम्बनापूर्ण हैI वहाँ मुस्लिम समुदाय की संख्या 68.31 प्रतिशत और हिन्दू समुदाय की संख्या मात्र 28.44 प्रतिशत हैI लेकिन न सिर्फ केंद्र सरकार बल्कि अब तक की सभी राज्य सरकारों की नज़र में मुस्लिम समुदाय अल्पसंख्यक हैI अब तक वही उपरोक्त दो अधिनियमों के तहत मिलने वाले तमाम विशेषाधिकारों और योजनाओं का लाभ लेता रहा हैI हिन्दू
Read Moreक्या मुस्लिम समुदाय ‘अल्पसंख्यक’ है- प्रो. रसाल सिंह
‘अल्पसंख्यक’ शब्द का अनवरत दोहन और दुरुपयोग भारतीय राजनीति का कड़वा सच हैI भारतीय संविधान में सन्दर्भ-विशेष में प्रयुक्त इस शब्द को आजतक अपरिभाषित छोड़कर मनमानी की जाती रही हैI इस मनमानी ने दो समुदायों-हिन्दू और मुसलमान के बीच अविश्वास, असंवाद और अलगाव का बीजारोपण किया हैI तथाकथित प्रगतिशील-पंथनिरपेक्ष दलों की स्वार्थ-नीति का शिकार यह शब्द उनके लिए वोटबैंक साधने का उपकरण रहा हैI आज तुष्टिकरण की राजनीति की विदाई
Read Moreशब्दों के साथ असहनीय युद्ध के बीच, ग्रहण और त्याग के विवेक के द्वंद्वों के मध्य लिखी कविता -“मुसलमान”- अनिल अनलहातु
इधर हाल के दिनों में देवी प्रसाद मिश्र की बहुश्रुत और बहुख्यात कविता “मुसलमान” एक बार फिर चर्चा में है । जैसा कि जाहिर है, हिंदी का एक तथाकथित तबका इस कविता पर उठी हर उंगली को तोड़ने को उद्धत हो उठता है। कारण आप सुधी पाठक जानते ही हैं , बताने की जरूरत नहीं। बहरहाल इस खाकसार ने बगैर किसी वाद-विवाद में पड़े सिर्फ और सिर्फ कविता को उसके
Read Moreडॉ संजीव कुमार चौधरी की कविता- “स्तम्भ”
मैं बड़ा हूं, लोग कहते हैं, क्योंकि, जिस स्तंभ पर खड़ा हूं, वह बहुत ऊंचा है, पर मान उसका नहीं, जबकि मेरे सम्मान का आधार है वह, अजीब सी विडंबना है, वह मुझे नाम तो दिलाता है, खुद खंभा ही कहलाता है। सच है यह कि मायने उसके तभी हैं, जब वह मजबूती से डटा रहे सीधा, इसमें नहीं कि यश धन के लोभ में झुकने लगे किसी भी एक
Read Moreहिंदी एवं अन्य भारतीय भाषाएं और देवनागरी लिपि- प्रोफेसर रसाल सिंह
संसदीय राजभाषा समिति की अध्यक्षता करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अंग्रेजी के विकल्प के रूप में हिंदी को अपनाने का आह्वान किया। साथ ही, उन्होंने बताया कि उत्तर-पूर्व के नौ समुदाय अपनी भाषाओं की लिपि के रूप में देवनागरी लिपि को अपना चुके हैं। उत्तर-पूर्व के सभी आठों राज्यों ने दसवीं कक्षा तक हिंदी को अनिवार्य बनाने पर भी सहमति व्यक्त की है। अमित शाह ने यह
Read Moreसाक्षात्कार: गीत जीवन की अनिवार्यता है- डॉ शान्ति सुमन
हिन्दी साहित्य में कविता और गीत विशेषत: नवगीत के सशक्त हस्ताक्षरों में बड़ी ही श्रद्धा और एहतराम से लिया जाने वाला एक नाम डॉ शान्ति सुमन जी का है, जो एक लंबे समय से अपनी अनुभूतियों, अनुभवों, विचारों और संघर्ष के हिस्सों को शब्द देने के लिये प्रयासरत हैं। डॉ शान्ति सुमन एमडीडीएम कालेज, मुजफ्फरपुर (बिहार) के हिन्दी विभागाध्यक्ष पद से सेवा निवृत्त होने के बाद इन दिनों जमशेदपुर में
Read Moreरेखा चमोली की कविता- “मैं तुमसे प्रेम करती हूं”
प्रेम का रास्ता किसी चीज के गुम होने की अनुभूति कराता है – जी के चेस्टरसन प्रेम जीवन में ताजगी लाता है -हेलन केलर प्रेम कभी दावा नहीं करता, वह तो हमेशा देता है। प्रेम हमेशा कष्ट सहता है। न कभी झुंझलाता है, न बदला लेता है – महात्मा गांधी प्रेम मानवता का दूसरा नाम है – गौतम बुद्ध प्रेम करना ही जीवन की खुशी है – जॉर्ज सेंड मैं
Read Moreमुक्ति की राह में अकेली पड़ती स्त्री- रश्मि रावत
प्रख्यात साहित्यकार अर्चना वर्मा की कहानियों पर हमारे समय की प्रसिद्ध आलोचक रश्मि रावत का यह आलेख कथादेश पत्रिका में प्रकाशित हो चुका है। पिछली पीढ़ियों की रचनात्मकता में स्त्री-व्यक्तित्व की जो यात्रा शुरू हुई, अर्चना वर्मा की कहानियों में उसका अगला चरण और विकास देखने को मिलता है। विभिन्न दिशाओं में सामाजिक गतिकी ने संबंधों और संस्थाओं को अलग-अलग तरह से प्रभावित किया। यह समझा जाने लगा, यद्यपि पूरे
Read Moreराजेश कुमार सिन्हा की कविता- “खंडित किरदार”
मैं अक्सर अपने बचपन को बहुत याद करता हूँ बड़ा ही विरोधात्मक था वह कालखण्ड कभी खुशी/कभी बेहिसाब उदासी अथाह दुलार और प्यार उतनी ही डांट और फटकार वैसे तो कमी किसी चीज की नहीं थी पर इच्छाएं खत्म कहाँ होती यह सतत चलने वाली प्रक्रिया थी एक के खत्म होते ही दूसरी मुहँ उठाये खड़ी हो जाती थी और सर्वाधिक आश्चर्य यह कि बिना ज्यादा मान मनुहार के वे
Read Moreलख्मीचंद रचित सांग नल-दमयन्ती
पंडित लखमीचंद (जन्म: 1903, मृत्यु: 1945) हरियाणवी भाषा के एक प्रसिद्ध कवि व लोक कलाकार थे। हरियाणवी रागनी व लोकनाट्य ‘सांग’ में उनके उल्लेखनीय योगदान के कारण उन्हें “सूर्य-कवि” कहा जाता है। पण्डित लखमीचन्द को “हरियाणा का कालिदास” भी कहा जाता है। उनका जन्म हरियाणा के सोनीपत जिले के जाट्टी कलां गाँव में एक साधारण किसान परिवार में हुआ था। उनका अल्पायु में ही अर्थात केवल 42 वर्ष की आयु में ही निधन हो गया
Read Moreनल दमयन्ती की कथा – फूल सिंह
एक दिन की बात है, पाण्डव और द्रौपदी इसी सम्बन्ध में कुछ चर्चा कर रहे थे। धर्मराज युधिष्ठिर भीमसेन को समझा ही रहे थे महात्मा अर्जुन जब अस्त्र प्राप्त करने के लिये इन्द्रलोक चले गये, तब पाण्डव काम्यक वन में निवास कर रहे थे। वे राज्य के नाश और अर्जुन वियोग से बड़े ही दुःखी हो रहे थे कि महर्षि बृहदश्व उनके आश्रम में आते हुए दिखाई पड़े। महर्षि बृहदश्व
Read More