विश्व जनसंख्या दिवस एक विचार

सृष्टि का आरम्भ सदियों पुराना है। मिथकों की माने तो ब्रह्मा जी सृष्टि के रचयिता हैं। विष्णु जी पालनकर्ता और शंकर जी संहार कर्ता। भगवान को जरूरत महसूस हुई तो उसने इंसानों की उत्पत्ति की उसे खिलौने के भांति समझ इस दुनिया में भेजा। वह आया और निरंतर अपनी बुद्धि के विकास के साथ बढ़ता गया। नई खोज की, प्रकृति को जाना, समझा कई जगह बेतहाशा दोहन भी किया और कर रहा है, करता रहेगा। बावजूद इसके प्रकृति अपना धर्म निभाती रही है, निभाती रहेगी।
प्रकृति ने मनुष्य को अपार सम्पदाएं दीं, मनुष्य उसके प्रति कृतज्ञ भी हुआ तो कृतघ्न भी बना। आज विश्व जनसंख्या दिवस है। विचार करने का दिन है बेतहाशा हो रही इस वृद्धि पर लगाम लगाने के लिए दुनिया भर ने कई सार्थक और जरूरी प्रयास भी किए हैं। जिसमें कोई सफल हुआ तो कोई असफ़ल। लेकिन यह हमेशा से चिंता का विषय बना रहा है।

दुनिया भर में बढ़ती जनसंख्या के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए प्रत्येक वर्ष 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है। और इस दिन को मनाने का उद्देश्य यह है कि विश्व के हर एक व्यक्ति बढ़ती जनसंख्या की ओर ध्यान दे। जनसंख्या को रोकने में अपनी भूमिका निभाए। हालांकि इसमें कुछ धर्म विशेष को भी दोषी ठहराया जाता है जो कहीं न कहीं सच भी है। लेकिन वही हाल दूसरे धर्म में भी नजर आ ही जाते हैं। जितने धर्म उतनी मान्यताएं, प्रथाएं।
ख़ैर बढ़ती जनसंख्या विश्व के कई देशों के सामने बड़ी समस्या का रूप तो ले ही चुकी है खासकर विकासशील देशों में। जनसंख्या विस्फोट एक गंभीर चिंता का विषय है पिछले कई बरसों से। इस दिन लोगों को परिवार नियोजन, लैंगिक समानता, मानवाधिकार और मातृत्व स्वास्थ्य के बारे में जानकारी दी जाती है। लेकिन अफसोस कि यह दिन भी हमेशा के आम दैनिक जीवन की तरह गुजर जाता है। कोई कठोर कानून नहीं बन पाया है इस पर आज तक।
11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाने की शुरुआत साल 1989 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की संचालक परिषद द्वारा हुई थी। उस समय विश्व की जनसंख्या लगभग 500 करोड़ थी। तब से प्रत्येक वर्ष 11 जुलाई को यह दिवस मनाया जाता है। इस दिन बढ़ती जनसंख्या के दुष्परिणामों पर प्रकाश डाला जाता है और साथ ही लोगों को जनसंख्या पर नियंत्रण रखने के लिए जागरूक किया जाता है।

इस दिवस को पहली बार 11 जुलाई 1990 को 90 से अधिक देशों में चिह्नित किया गया था। तब से कई देश के कार्यालयों, अन्य संगठनों और संस्थानों ने सरकारों और नागरिक समाज के साथ साझेदारी में विश्व जनसंख्या दिवस मनाया। विश्व जनसंख्या दिवस पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिनमें जनसंख्या वृद्धि की वजह से होने वाले खतरों के प्रति लोगों को आगाह किया जाता है।
विश्व जनसंख्या दिवस पर जागरूकता फैलाने के लिए विभिन्न समाजिक कार्यक्रमों व सभाओं का संचालन, प्रतियोगिताओं का आयोजन, रोड शो, नुक्कड़ नाटक अन्य कई तरीके शामिल हैं। वर्तमान में चीन और भारत दुनिया के सबसे अधिक जनसंख्या वाले देश हैं।
इस वर्ष का विषय विशेष रूप से कोरोना महामारी के समय में दुनियाभर में महिलाओं और लड़कियों के स्वास्थ्य और अधिकारों की सुरक्षा पर आधारित है। काम पर जाने वाली महिलाएं अक्सर असुरक्षित माहौल में काम करती हैं। श्रम बाजार में भी प्राय: महिलाओं की सुरक्षा के उपायों को खास तवज्जो नहीं दी जाती। यहां तक कि कोरोना महामारी के दौरान भी महिलाएं इसके आर्थिक प्रभावों से बहुत प्रभावित हुई हैं। दुनियाभर में लगभग 60 प्रतिशत महिलाएं अपने श्रम के माध्यम से अनौपचारिक रूप से अर्थव्यवस्था में योगदान देती हैं, ऐसे में उन पर पड़े आर्थिक प्रभाव की वजह से गरीबी के और बढ़ने का अधिक खतरा है।
वर्तमान में सबसे तेज गति से जनसंख्या वृद्धि करने वाला देश नाइजीरिया है, जिसके वर्ष 2050 तक अमेरिका को पीछे छोड़कर तीसरे स्थान पर पहुंचने की संभावना है। दुनियाभर में बुजुर्गों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। वर्ष 1950 में बुजुर्गों से कहीं ज्यादा संख्या में युवा थे।
आखिर हमें आज ही नहीं हर रोज विचार करना होगा तथा इस पर लगाम कसनी ही होगी। भले सरकारें उचित कदम उठाए या न उठाए। जनसंख्या में कोई एक धर्म तेजी से बढ़ रहा है तो कोई दूसरा धर्म पीछे खिसक रहा है। जिसकी वजह से उनका धर्म खतरे में आ जाएगा, ऐसी ओछी मानसिकता को त्यागकर हमें इस प्रकृति की रक्षा करनी होगी। तथा मनुष्य का जीवन लंबे समय तक बनाए रखना अगर हम जरूरी समझते हैं तो जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए सार्थक कदम उठाने ही होंगे। अब समय आ चुका है कि सरकारें “हम दो हमारे दो” कानून का कठोरता से पालन करें जैसे चीन ने करके इस पर लगाम लगाई।

लेखक- तेजस पूनियां , शिक्षा- शिक्षा स्नातक (बीएड) , स्नातकोत्तर हिंदी , पता – 177 गणगौर नगर , गली नँबर 3, नजदीक आर एल जी गेस्ट हाउस, संपर्क -9166373652, ईमेल- tejaspoonia@gmail.com