जगमोहन: टफ टास्क मास्टर- रसाल सिंह

3 मई 2021 को जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल जगमोहन के निधन की खबर सुनकर पूरा देश स्तब्ध हो गया। सबसे अधिक स्तब्ध जम्मू -कश्मीर के लोग हुए। कहा जाता है कि जम्मू-कश्मीर में अगर कभी विकास की लहर चली तो वह कार्यकाल पूर्व राज्यपाल जगमोहन का था। जम्मू में बना फ्लाईओवर पूर्व राज्यपाल की ही देन है। श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड की स्थापना भी उन्हीं के प्रयासों से हुई थी। पढ़ें प्रोफेसर रसाल सिंह का यह आलेख जिसमें उन्होंने जगमोहन के कार्यों की विस्तार से चर्चा की है।
जगमोहन (मल्होत्रा) जी का एक ईमानदार राजनेता और कुशल प्रशासक के रूप में स्वातन्त्र्योत्तर भारत के सार्वजनिक जीवन में महत्वपूर्ण योगदान रहा हैI 94 साल की तमाम उपलब्धियों वाली ज़िन्दगी जीने वाले जगमोहन की छवि सख्त और दूरदर्शी फैसले लेने और उनका सुचारु और समयबद्ध कार्यान्वयन कराने वाले कर्तव्यनिष्ठ और कर्मठ व्यक्ति की रही हैI आज की समझौतापरस्त, अवसरवादी और पॉपुलिस्ट राजनीति और राजनेताओं के लिए उनका जीवन मिसाल हैI उन्होंने सदैव पॉपुलिज्म की जगह अपने कर्तव्य, अपने सिद्धांतों और राष्ट्रहित को प्राथमिकता दीI अडिग-अविचल होकर उन्होंने अपना कर्तव्य-पालन किया और राह में आने वाली हर चुनौती का सामना निडरतापूर्वक कियाI किसी भी कीमत पर कभी भी समझौता नहीं कियाI

25 सितम्बर, 1927 को अविभाजित पंजाब के हाफिज़ाबाद में जन्मे जगमोहन ने भारत विभाजन के दर्दनाक दृश्यों को अपनी आँखों से देखा थाI उन्होंने विभाजन के फलस्वरूप हुए विस्थापन के दुःख-दर्द को स्वयं भी झेला थाI भारत-विभाजन और उससे पैदा होने वाले विस्थापन ने न सिर्फ उन्हें सेक्युलरिज्म के खोल में भारत में पनपी मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति के प्रति सजग किया, बल्कि इसके खिलाफ मुखर होने का साहस और इसके संतुलन के लिए काम करने की समझ भी दीI इसीलिए मुस्लिमपरस्त सेक्युलर लॉबी ने उनकी कार्य-कुशलता और कार्यशैली को ‘अल्पसंख्यक-विरोधी’ कहकर अवमूल्यित करने की लगातार कोशिश कीI लेकिन जगमोहन विरोध और विवाद से विचलित होने वाले पिलपिले व्यक्ति नहीं थे।
सन् 1962 में भारतीय प्रशासनिक सेवा से जुड़ने के बाद उनके कैरियर में नई ऊंचाई आयी। उन्होंने सातवें दशक में दिल्ली विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष के रूप में सराहनीय काम करते हुए लोगों को अपनी कार्यशैली से प्रभावित कियाI बहुत जल्द वे प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के लाड़ले बेटे संजय गाँधी के निकट आ गएI आपातकाल के दौरान वे दिल्ली के उपराज्यपाल थेI उस समय दिल्ली में विधान-सभा नहीं होती थीI इसलिए सारी कार्यकारी शक्तियां उपराज्यपाल में ही अन्तर्निहित थींI वे दो बार दिल्ली के उपराज्यपाल रहेI अपने इन दोनों कार्यकालों में उन्होंने दिल्ली का कायाकल्प करने में उल्लेखनीय भूमिका निभाईI आपातकाल के दौरान दिल्ली में जगह-जगह बसी हुई झुग्गी बस्तियों को हटाने और 1982 में दिल्ली में आयोजित एशियाई खेलों और गुट-निरपेक्ष सम्मेलन के शानदार और सुव्यवस्थित आयोजन का श्रेय जगमोहन को जाता हैI दिल्ली के सौन्दर्यीकरण के दौरान उन्होंने जबर्दस्त विरोध के बावजूद अवैध रूप से बसायी गयी तमाम झुग्गी बस्तियां हटवायींI इनमें सबसे बड़ी तुर्कमान गेट स्थित मुस्लिम झुग्गी बस्ती थीI जब इस झुग्गी बस्ती के लोग दुबारा एक ही जगह पर बसाये जाने की जिद करने लगे तो उन्होंने कहा कि- ‘मैंने एक पाकिस्तान को इसलिए नहीं उजाड़ा है कि फिर दूसरा पाकिस्तान बनाने दिया जायेI’ उनका इशारा साफ़ था कि मुस्लिम समुदाय को अपनी अलग किलेबंदी करके और झुण्ड बनाकर रहने की जगह अन्य समुदायों के साथ मिल-जुलकर रहना चाहिएI
वे दो बार दिल्ली के उपराज्यपाल रहेI अपने इन दोनों कार्यकालों में उन्होंने दिल्ली का कायाकल्प करने में उल्लेखनीय भूमिका निभाईI आपातकाल के दौरान दिल्ली में जगह-जगह बसी हुई झुग्गी बस्तियों को हटाने और 1982 में दिल्ली में आयोजित एशियाई खेलों और गुट-निरपेक्ष सम्मेलन के शानदार और सुव्यवस्थित आयोजन का श्रेय जगमोहन को जाता हैI
कांग्रेस की मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति से परिचित होते हुए भी उन्होंने अपने काम से समझौता नहीं किया और न किसी दबाव में आयेI इसी प्रकार एशियाई खेलों के सफल आयोजन के दौरान उन्होंने बहुत ही ईमानदारी और कार्यकुशलता का परिचय देते हुए भारत की अंतरराष्ट्रीय पहचान बनायीI अब तक उनकी खुद की पहचान भी एक अत्यंत कार्यकुशल, ईमानदार और अडिग इरादों वाले मजबूत प्रशासक की बन चुकी थीI जब नौवें दशक में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद पनप रहा था तो तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने उन्हें राज्यपाल बनाकर जम्मू-कश्मीर भेजाI उन्होंने आतंकवाद को अपरोक्ष रूप से शह दे रही अलगाववादी शक्तियों की नकेल कसना शुरू कियाI इसी क्रम में उन्होंने फारुख अब्दुल्ला की सांप्रदायिक और अलगाववादी सरकार को बर्खास्त कराने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाईI
वे जम्मू-कश्मीर आते ही इस बात को समझ गए थे कि आतंकवाद और अलगाववाद की जड़ वहाँ सक्रिय क्षेत्रीय दल हैंI उन्होंने इस गठजोड़ को काफी हद तक तोड़ डाला थाI राजीव गाँधी के बाद प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने भी उन्हें दुबारा जम्मू-कश्मीर का राज्यपाल बनायाI हालाँकि, उनका यह कार्यकाल अल्पकालीन ही रहा क्योंकि तत्कालीन रामो-वामो की सरकार गठबंधन की कमजोर सरकार थीI उसके अनेक घटक खासकर कम्युनिष्ट पार्टियाँ मुस्लिम तुष्टिकरण और ध्रुवीकरण की राजनीति पर ही फल-फूल रही थींI जब जगमोहन ने कश्मीर घाटी में हिन्दुओं पर हो रहे जुल्म को रोकने की कोशिश की और मुस्लिम ज्यादतियों और आतंक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की तो दिल्ली में बैठे उनके हिमायतियों ने वी.पी. सिंह पर दबाव बनाकर उन्हें हटवा दियाI लेकिन 19 जनवरी, 1990 की काली रात में कश्मीर घाटी में होने वाले कत्लेआम से ठीक पहले ही उन्होंने बड़ी संख्या में हिन्दुओं को वहाँ से सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाकर उनकी जान और अस्मत की रक्षा करने का सराहनीय कार्य कियाI

26 जनवरी, 1990 को श्रीनगर में आज़ादी मनाने के अलगाववादियों-आतंकवादियों के मंसूबों को विफल करने का श्रेय भी उन्हें जाता है। उन्होंने जम्मू और लद्दाख संभाग के साथ होने वाले भेदभाव और जम्मू-कश्मीर की राजनीति में कश्मीरियों और मुसलमानों के वर्चस्व को संतुलित करने की कोशिश कीI उनके इन्हीं साहसिक और सूझ-बूझ वाले कामों की वजह से जम्मू संभाग के लोग और विस्थापित कश्मीरी हिन्दू आजतक उनका गुणगान करते हैंI उल्लेखनीय है कि तमाम आतंकवादी संगठनों और कठमुल्लों के अलावा पाकिस्तान की तत्कालीन प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो ने भी उनको खुलेआम धमकियाँ दींI उन्हें जगमोहन की जगह ‘भगमोहन’ बनाने और मो-मो की तरह उनके टुकड़े-टुकड़े करने तक की बात की गयीI लेकिन उन्होंने इन गीदड़ भभकियों की तनिक भी परवाह न करते हुए पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद की रीढ़ तोड़ने का काम कियाI इस दौर के अपने अनुभवों को उन्होंने अपनी बहु-चर्चित पुस्तक ‘माय फ्रोजन टर्बुलेंस इन कश्मीर’ में अभिव्यक्त किया हैI

जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के रूप में उन्होंने श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड की स्थापना करके श्रध्दालुओं के चढ़ावे के उपयोग में पारदर्शिता सुनिश्चित कीI उल्लेखनीय है कि इसी राशि से जम्मू-कश्मीर के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय श्री माता वैष्णो देवी विश्वविद्यालय की स्थापना हुई और उसी से उसका संचालन भी होता हैI अस्पताल आदि और भी अनेक सामाजिक कार्य इसी चढ़ावे से होते हैंI उन्होंने वैष्णो देवी यात्रा और अमरनाथ यात्रा को विकसित, व्यवस्थित और सुविधाजनक भी बनायाI

जगमोहन का दृढ़ विश्वास था कि अनुच्छेद 370 राष्ट्रीय एकीकरण की सबसे बड़ी बाधा हैI यह अनुच्छेद ही जम्मू-कश्मीर को भारत से अलगाता हैI यही जम्मू-कश्मीर में भारतीय संविधान के अन्य तमाम प्रावधानों को लागू नहीं होने देताI उन्होंने इसे ‘अस्थायी और संक्रमणकालीन प्रावधान’ मानते हुए जल्द-से-जल्द समाप्त करने की बात खुलकर कीI भारत सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 और 35 ए की समाप्ति करके जगमोहन के विचारों की पुष्टि कर दी और भारत के एकीकरण की परियोजना को पूरा कर दियाI

दिल्ली की मुस्लिमपरस्त सेक्युलर लॉबी के दबाव में जब उन्हें जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल पद से अकारण कार्यमुक्त कर दिया गया तो वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नज़रों में आ गएI उनके काम करने के तरीके ने ही उन्हें आगे बढ़ने और अधिक काम करने के अवसर दिलायेI वे कम-से-कम चार प्रधानमंत्रियों के पसंदीदा ‘टफ टास्क मास्टर’ थेI उनकी कार्यशैली ने उनके जितने विरोधी तैयार किये, उससे कहीं ज्यादा उनके प्रशंसक भी बनायेI संघ के आग्रह पर वे भाजपा में शामिल हो गए और नयी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र से तीन बार (1996,98,99) निर्वाचित हुएI इससे पहले वे 1990 में राज्यसभा के लिए चुने गए थेI वे वाजपेयी जी की सरकार में शहरी विकास, संचार और पर्यटन मंत्री रहेI उन्होंने केंद्रीय शहरी विकास मंत्री रहते हुए दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री श्रीमती शीला दीक्षित के साथ तालमेल बनाकर दिल्ली का ढांचागत विकास और सौंदर्यीकरण करते हुए उसे अन्तरराष्ट्रीय शहर बनाने की दिशा में उल्लेखनीय कार्य किया।
यह दुःखद है कि तमाम विकास परियोजनाओं के ठप्प हो जाने के बाद आज दिल्ली शहर स्लम बनने की ओर अग्रसर है। सार्वजनिक जीवन में उनके उल्लेखनीय योगदान और राष्ट्र-सेवा के लिए उन्हें भारत के प्रतिष्ठित नागरिक अलंकरणों-पद्म श्री, पद्म-भूषण और पद्म-विभूषण (1971,1977, 2016) से सम्मानित किया गयाI जगमोहन ने अपने काम से ही अपनी पहचान बनायीI उनका जीवन इस बात का उदाहरण है कि बिना लूट-झूठ और तिकड़म के भी आगे बढ़ा जा सकता है। ईमानदार एवं समझदार राजनेताओं और कुशल एवं कर्तव्यनिष्ठ प्रशासकों की इस अकाल-बेला में ‘काम को ही पूजा’ मानने वाले जगमोहन युवा पीढ़ी के आदर्श बने रहेंगेI
लेखक प्रोफेसर रसाल सिंह जम्मू केन्द्रीय विश्वविद्यालय में अधिष्ठाता, छात्र कल्याण हैंI
Very informative blog article. Really Great.
I am curious to find out what blog system you’re working with? I’m experiencing some small security problems with my latest blog and I’d like to find something more safe. Do you have any recommendations?
That is a great tip especially to those fresh to the blogosphere. Simple but very precise infoÖ Many thanks for sharing this one. A must read post!
Looking forward to reading more. Great article post.Really looking forward to read more. Fantastic.
You are my aspiration , I possess few blogs and sometimes run out from to post . Emmaline Elisha Malinin
เว็บไซต์รวบรวมข่าวบันเทิง กีฬา โปรโมชั่น หนังและโทรศัพท์ >>> tampaido.com ติดตามกันได้เลย
That is a good tip especially to those new to the blogosphere. Simple but very precise infoÖ Thanks for sharing this one. A must read post!
Looking forward to reading more. Great blog.Really looking forward to read more. Really Great.
A big thank you for your post. Really Great.
Really enjoyed this article post.Really looking forward to read more. Really Cool.
canadian pharmacies that ship to us best rated canadian pharmacy
Enjoyed every bit of your article post. Really Great.
wow, awesome post.Really looking forward to read more. Keep writing.
Right away I am ready to do my breakfast, later than having my breakfast coming again toread more news.Feel free to visit my blog post peak brain function
augmentin thrombocytopenia clindamycin tablets zithromax iv
Thanks for finally writing about > رئيس البرلمانالمغربي:دعوة إلى توحيد الجهود المغربية الجزائرية لمواجهة التحدياتالمشتركة – ستراتيجيا نيوز