‘वीर ज़ारा’ वाली दादी को हैप्पी बडडे

जोहरा सहगल का पूरा नाम साहिबजादी जोहरा सहगल मुमताज उल्ला खान था। इनका जन्म 27 अप्रैल 1912 को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में हुआ था। उन्होंने अपनी पढ़ाई जर्मनी में पूरी की थी। जोहरा सहगल पहली अभिनेत्री थीं जिन्हें अंतर्राष्ट्रीय ख्याति मिली । दरअसल, 29 सितंबर 1946 को जोहरा सहगल की फिल्म ‘नीचा नगर’ कान्स फिल्म फेस्टिवल में प्रदर्शित हुई थी। आइए तेजस पूनियां के लेख के माध्यम से उनके बारे में कई बातें जानते हैं – संपादक

बॉलीवुड की सबसे जिंदादिल अभिनेत्रियों में शुमार जोहरा सहगल का आज जन्मदिन हैं। सबसे पहले मैंने अपने जीवन में बड़े पर्दे को देखा था तो वीर जारा फ़िल्म के माध्यम से। उससे पहले कभी सिनेमाघर घर गया ही नहीं। और यहां एक दादी को देखा जो हमेशा के लिए जेहन में बस गईं। जोहरा के बारे में बात करूं तो अपने पैशन और आत्मविश्वास के लिए जानी जाने वाली जोहरा ने एक ऐसे समय में एक्ट्रेस बनने का फैसला किया था जब फिल्मों में महिलाएं आने से कतराती थीं। 1920 के दशक में जोहरा ने क्वीन मैरी कॉलेज, लाहौर को ज्वॉइन किया था। जोहरा की मां चाहती थी कि वे कॉलेज में पढ़ें और इसीलिए उन्होंने अपनी मां की ख्वाहिश को पूरा करने का फैसला किया था। इस कॉलेज को ज्वॉइन करने का मतलब था कि उन्हें परदा सिस्टम का हिस्सा बनना पड़ता और यही कारण है कि उन्होंने जल्द ही बुर्का पहनना भी शुरू किया था।

क्वीन मैरी से ग्रैजुएट होने के बाद जोहरा ने एक ब्रिटिश एक्टर से यूरोप में एक्टिंग की ट्रेनिंग ली थी। इस दौरान उन्होंने बैलेट भी सीखा था। इसी दौरान उनकी आर्ट में दिलचस्पी काफी बढ़ गई थी। वे एक ऐसे दौर में पैदा हुई थीं जब महिलाएं पुरुषों के सामने आने में भी सकुचाती थी लेकिन जोहरा जहां भी जाती पूरे आत्मविश्वास के साथ जातीं। जब उन्होंने यूरोप में उदय शंकर को परफ़ॉर्म करते देखा था तो वे सीधा उनके पास गई और उन्हें कहा कि वे जोहरा को अपनी टीम में शामिल कर लें। जोहरा की काबिलियत और उनके आत्मविश्वास को देखकर उदय शंकर ने उन्हें अपनी टीम में शामिल कर लिया। उन्होंने इसके बाद जापान, मिस्त्र, यूरोप और अमेरिका जैसे कई देशों की यात्रा अपनी टीम के साथ की।
भारत पाक विभाजन के दौरान जोहरा और उनके पति मुबंई ही रुक गए थे क्योंकि अब वे लाहौर में घर जैसा महसूस नहीं कर रहे थे। जोहरा नास्तिक थीं और कमलेशवर भी धर्म में खास विश्वास नहीं करते थे।
जोहरा मुबंई में 14 सालों तक पृथ्वी थियेटर से जुड़ी रही थी। उनकी सालों की मेहनत के बाद उन्हें के अब्बास की फिल्म ‘धरती के लाल’ में पहला फिल्मी रोल मिला था। इसके बाद उन्होंने ‘नीचा नगर’ में काम किया था। इस फिल्म को अंतराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त हुई थी और उन्होंने 1946 में कान फिल्म फेस्टिवल में अवॉर्ड भी जीता था।

तेजस पूनियां , शिक्षा- शिक्षा स्नातक (बीएड), 177 गणगौर नगर , गली नँबर 3, नजदीक आर एल जी गेस्ट हाउस, संपर्क -9166373652, ईमेल- tejaspoonia@gmail.com