Category: रचनाएं
गोपाल मोहन मिश्र की तीन कविताएँ
1) आदमी आदमी से बड़ा दुश्मन, आदमी का कौन है ? गम बढ़ा सकता जो लेकिन, गम घटा सकता नहीं। हड़प सकता हक जो, औरों का भी अपने वास्ते, काट सकता सर कई, पर खुद कटा सकता नहीं। बेवजह, बिन बात समझे, बिना जाने वास्ता, जान ले सकता किसी की, जान दे सकता नहीं। कर जो सकता वारदातें, हर जगह, हर किस्म की, पर किसी को, माँगने पर प्यार दे सकता
Read Moreराजेश सिन्हा की कविता – सियासती दुश्मनी
मैने सुना है दुश्मनी का अपना एक गणित होता है अपना एक फॉर्मूला होता है अपना दर्शन भी होता है और अगर आप सही में दुश्मनी करना चाहते हैं तो सरल सा उपाय है फॉर्मूला का विधिवत अनुपालन किसी भी तरह वरना वह मुकाम तक नहीं पहुँचेगी परिणाम मनोनुकूल नहीं होगा अर्थात सारे प्रयास बेकार सारे कयास भी बेकार पर शायद वक़्त बदला बदला सा नज़र आता है आजकल दुश्मनी
Read Moreसमीर उपाध्याय ललित की कविता “ज़िंदगी यूं ही गुज़र गई”
अनगिनत अपेक्षाओं को पूर्ण करने में ज़िंदगी के अमूल्य दिन हाथ से खो दिएं। भौतिक सुख-वैभव की प्राप्ति करने में कितने ही सिद्धांतों के साथ समझौते किएं।। धन और दौलत कमाने की प्रतिस्पर्धा में संबंधों की अहमियत को भी भूलते गएं। स्वार्थ पर आधारित संबंधों को बनाने में अपने परिवार को
Read Moreफेमस होने की विधि (व्यंग्य लेख)- शशि पाण्डेय
यूं तो आजकल फेमस होना बहुत मुश्किल नहीं रहा। कुछ भी ऊल जलूल हरकत कर लीजिए और फेमस हो जाइए। अच्छा जो आनंद फेमस होने में है वो प्रसिद्ध होने में नही। आज जिसको देखो उसको ही फेमस होना है। फेमस होने का ट्रोल से घनिष्ठ संबंध होता है। ट्रोल फेमस के बुआ के ननद के सास का फुफेरा भाई है। इस विधि के बिना आजकल किसी का फेमस होना
Read Moreफिर याद आ ही गए न तुम
फिर याद आ ही गए न तुम निराश जीवन के कठिनतम क्षणों में .. मन में बवंडर लिए मैं मिला तुमसे और तुम्हारे प्रेम ने मुझे फिर से चलना सिखाया.. तुम्हारी मृदुलता भरे स्पर्श ने सिखलाया मुझे, एक तारा के अस्त होने पर आकाशगङ्गा किस पीड़ा से गुजरती है.. और बादलों के सहसा रीतने पर आसमान किस तरह रोने लगता है! जब-जब तुम मिली मुझसे — मैं पहले से ज्यादा
Read Moreकहीं तुम्हें मेरी नज़र न लग जाए…
मिलन और मेघना की आज़ शादी की पांचवी सालगिरह है। घर पर शाम को एक बहुत बड़ी पार्टी का आयोजन किया है। बड़ी धूमधाम के साथ मेहमान नवाजी होने वाली है। मिलन- “मेघना, आज़ मन करता है कि तुम्हारी इन लंबी काली-काली जुल्फों में उलझ जाऊं और लाल रंग के फूलों का यह ब्रोच लगाऊं।” मेघना- “बहुत खूब! आज़ बड़े रोमांटिक मिज़ाज में लग रहे हैं!” मिलन- “मैं चाहता हूं
Read Moreडॉ संजीव कुमार चौधरी की कविता- “स्तम्भ”
मैं बड़ा हूं, लोग कहते हैं, क्योंकि, जिस स्तंभ पर खड़ा हूं, वह बहुत ऊंचा है, पर मान उसका नहीं, जबकि मेरे सम्मान का आधार है वह, अजीब सी विडंबना है, वह मुझे नाम तो दिलाता है, खुद खंभा ही कहलाता है। सच है यह कि मायने उसके तभी हैं, जब वह मजबूती से डटा रहे सीधा, इसमें नहीं कि यश धन के लोभ में झुकने लगे किसी भी एक
Read Moreरेखा चमोली की कविता- “मैं तुमसे प्रेम करती हूं”
प्रेम का रास्ता किसी चीज के गुम होने की अनुभूति कराता है – जी के चेस्टरसन प्रेम जीवन में ताजगी लाता है -हेलन केलर प्रेम कभी दावा नहीं करता, वह तो हमेशा देता है। प्रेम हमेशा कष्ट सहता है। न कभी झुंझलाता है, न बदला लेता है – महात्मा गांधी प्रेम मानवता का दूसरा नाम है – गौतम बुद्ध प्रेम करना ही जीवन की खुशी है – जॉर्ज सेंड मैं
Read Moreराजेश कुमार सिन्हा की कविता- “खंडित किरदार”
मैं अक्सर अपने बचपन को बहुत याद करता हूँ बड़ा ही विरोधात्मक था वह कालखण्ड कभी खुशी/कभी बेहिसाब उदासी अथाह दुलार और प्यार उतनी ही डांट और फटकार वैसे तो कमी किसी चीज की नहीं थी पर इच्छाएं खत्म कहाँ होती यह सतत चलने वाली प्रक्रिया थी एक के खत्म होते ही दूसरी मुहँ उठाये खड़ी हो जाती थी और सर्वाधिक आश्चर्य यह कि बिना ज्यादा मान मनुहार के वे
Read Moreलख्मीचंद रचित सांग नल-दमयन्ती
पंडित लखमीचंद (जन्म: 1903, मृत्यु: 1945) हरियाणवी भाषा के एक प्रसिद्ध कवि व लोक कलाकार थे। हरियाणवी रागनी व लोकनाट्य ‘सांग’ में उनके उल्लेखनीय योगदान के कारण उन्हें “सूर्य-कवि” कहा जाता है। पण्डित लखमीचन्द को “हरियाणा का कालिदास” भी कहा जाता है। उनका जन्म हरियाणा के सोनीपत जिले के जाट्टी कलां गाँव में एक साधारण किसान परिवार में हुआ था। उनका अल्पायु में ही अर्थात केवल 42 वर्ष की आयु में ही निधन हो गया
Read Moreप्रियंका ओम की कहानी- ‘धूमिल दोपहर’
प्रियंका ओम की यह कहानी ‘जानकीपुल’ पर प्रकाशित हुई है। कहानीकार से अनुमति लेकर इसे लोकमंच पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। कभी-कभी देर तक सोना चाहती हूँ, इतनी देर तक कि जैसे कोई सुबह नहीं हो। सोते हुए मैं अपनी उस कहानी को पूरा करना चाहती हूँ जो वर्षों से अधलिखी पड़ी है। अधूरी कहानी। अधूरे प्रेम की अधलिखी कहानी। मैं उस प्रेम कहानी को क्यूँ पूरा करना चाहती
Read Moreनवीन जोशी की कविता- वसुंधरा जी आएँ इस बार
राजस्थान फिर करें पुकार वसुंधरा जी आये इस बार भाजपा की बेटी बनकर सुशासन की नींव लगाई विपक्षी दल मुँह को तांके ऐसी तुमने रीत चलाई चले रीत यह बार-बार वसुंधरा जी आये इस बार.. औरत को सम्मान दिलाया पुरूषों के संग मान दिलाया ऊंच-नीच का भेद मिटाया औरत को मजबूत बनाया बने मजबूत यह हर बार वसुंधरा जी आये इस बार.. शिक्षा क्षेत्र में बाढ़ जो आई अपराधों पर
Read Moreगोपाल मोहन मिश्र की कविता- मां सरस्वती
अर्चना के पुष्प चरणों में समर्पित कर रहा हूँ , मन हृदय से स्वयं को हे मातु अर्पित कर रहा हूँ I मूढ़ हूँ मैं अति अकिंचन सोच को विस्तार दो , माफ़ कर मुझ पातकी को ज्ञान से तुम वार दो I लोभ, स्वार्थ, दम्भ और घमंड काट दो हे मातु तुम, स्वच्छ निर्मल भाव की सौगात दो हे मातु तुम I कर सकूँ आक्रमण तम पे, कलम में
Read Moreसर्वेश सिंह की कविता- “जेएनयू का शोक”
उसके कत्थई ईंटों की मिट्टी कहते हैं कि गुरुग्राम की थी जहां गुरु द्रोण का आश्रम था आँचल में अरावली की झाड़ियाँ थीं जहां राय पिथौरा ने शब्दबेधी धनुर्विद्या सीखी थी जब जेएनयू बन रहा था तो कहते हैं कि तक्षकों का एक महाभारतकालीन कुनबा पुस्तकालय के नीचे खुशी खुशी दफन हो गया ताकि नौनिहालों की आंखें रोशन हों पर भारत की संसद ने इसे इतिहास से अलग कर दिया
Read Moreनवीन जोशी की कविता- हाय! गहलोत सरकार
गहलोत सरकार के तीन साल काले कारनामों के हुए कमाल। चोरों के हौसले बढ़ चुके हैं मंदिर को भी नहीं छोड़ चुके हैं हर पंडित, मंदिर की यही पुकार सुरक्षित कर दो हमारा परिवार। शिक्षक भी हैवान हुए हैं विद्यालय भी मसान हुए हैं। बालिकाओं की यही पुकार ध्यान क्यों न देती सरकार बलात्कारी बेखौफ हुए हैं जैसे उनमें रोब कहीं है चारों तरफ यह चीख-पुकार ध्यान क्यों न देती
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