Category: सम्पादक
बजट में बिहार को क्या मिला- अरुण कुमार
अमृत काल के आम बजट का सर्वाधिक लाभ बिहार जैसे गरीब राज्य को सर्वाधिक मिलेगा- श्री सुशील कुमार मोदी, पूर्व उपमुख्यमंत्री व पूर्व वित्तमंत्री, बिहार। केन्द्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 1 फरवरी 2023 को प्रस्तुत ‘बजट 2023-24’ से अंतिम छोर और अंतिम व्यक्ति को सबसे अधिक लाभान्वित होने की संभावना जताई जा रही है। अर्थशास्त्रियों का भी यह मानना है कि इस बजट से बिहार जैसे गरीब राज्यों को सर्वाधिक
Read Moreकपिलदेव प्रसाद को पद्मश्री बावनबूटी कला को वरदान- अरुण कुमार
केंद्र सरकार ने कपिलदेव प्रसाद को पद्मश्री पुरस्कार प्रदान कर बावनबूटी कला को नया जीवन देने की सार्थक पहल की है। गणतंत्र दिवस के अवसर पर इस बार बिहार के तीन लोगों आनंद कुमार, सुभद्रा देवी और कपिलदेव प्रसाद को पद्मश्री पुरस्कार प्रदान किया गया है। ये तीनों अपने-अपने तरीके और संसाधनों से सामाजिक क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। ‘सुपर-30’ के माध्यम से गरीब बच्चों को आईआईटी प्रवेश परीक्षा
Read Moreलाचित बोड़फुकन : पूर्वोत्तर का शिवाजी- अरुण कुमार
यह आलेख दैनिक जागरण के राष्ट्रीय संस्करण में 25 नवंबर 2022 को प्रकाशित हो चुका है। 24 नवम्बर को 17 वीं शताब्दी के महान योद्धा अहोम सेनापति लाचित बोड़फुकन की 400 वीं जयंती है। जिस रूप में राजस्थान में महाराणा प्रताप को, महाराष्ट्र में शिवाजी को और पंजाब में गुरु गोविंद सिंह को याद किया जाता है उसी रूप में असम के लोग लाचित बोड़फुकन को भी याद करते हैं।
Read Moreहिन्दी साहित्य का आदिकाल- अरुण कुमार
यूजीसी नेट हिन्दी के अभ्यर्थियों के लिए उपयोगी हिन्दी साहित्य के इतिहास में लगभग 600 वर्षों अर्थात 8 वीं शताब्दी से 14 वीं शताब्दी के बीच के काल को ‘आदिकाल’ कहा जाता है। इस काल की समय सीमा आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के अनुसार संवत 1050 से 1375 संवत तक है। ‘आदिकाल’ के नामकरण को लेकर विद्वानों में मतभेद है। आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने इसे आदिकाल कहा है। आचार्य रामचन्द्र
Read Moreलोकनाट्य: अवधारणा, इतिहास और स्वरूप- अरुण कुमार
हिन्दी ऑनर्स के विद्यार्थियों के लिए उपयोगी ‘लोक’ शब्द की उत्पत्ति संस्कृत की ‘लोकृ दर्शने’ धातु में ‘धञ’ प्रत्यय जोड़ने से हुई है। ‘लोकृ दर्शने’ का अर्थ होता है- देखना। अतः ‘लोक’ शब्द का शाब्दिक अर्थ ‘देखना’ होता है, परन्तु व्यवहार में ‘लोक’ शब्द का अर्थ ‘सम्पूर्ण जनमानस’ के लिए होता है। ऋग्वेद में ‘लोक’ शब्द का प्रयोग ‘जन’ के पर्यायवाची शब्द के रूप में हुआ है। भरतमुनि ने अपने
Read Moreहिन्दी सिनेमा और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन- अरुण कुमार
“कला प्रकृति का प्रतिबिंब है। अनादि काल से यह मानव प्रकृति के रम्य और विभिन्न रूपों को जीवन के विशाल ‘कैनवास’ पर उतारती चली आ रही है। चित्र कला, संगीत कला, साहित्य, शिल्प और नाट्यकला की भांति ‘चित्रपट’ उनमें एक नवीन रूपभिव्यक्ति है।” – महेन्द्र मित्तल, भारतीय चलचित्र, पृ.1 ‘चित्रपट’, चलचित्र या ‘सिनेमा’ कला के सभी प्रचलित रूपों को अपने में समाहित कर जीवन की सजीव एवं मार्मिक अभिव्यक्ति करने
Read Moreकार्यालय क्रियाविधि – अरुण कुमार
दिल्ली विश्वविद्यालय के ‘कार्यालयी हिन्दी’ पढ़ने वाले विद्यार्थियों के लिए उपयोगी कार्यालय में जब कोई सरकारी पत्र आता है तो उस पत्र पर जो कार्रवाई की जाती है उस प्रक्रिया को ‘कार्यालयी क्रियाविधि’ (Office Procedure) कहते हैं। कार्यालय क्रियाविधि से जुड़ी कई प्रक्रियाएं होती हैं जिन्हें अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है। पंजीयन (Registration) प्रत्येक कार्यालय में एक ‘पंजीयन विभाग’ या ‘इन्वेर्ड सेक्शन’ होता है। इस विभाग का कार्य कार्यालय
Read More“न खाता न बही, जो सीताराम केसरी कहें वही सही”- अरुण कुमार
पुण्यतिथि विशेष : 13 वर्ष की उम्र में ही स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ने वाले कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सीताराम केसरी के पास लगभग 35 वर्षों तक सांसद और तीन सरकारों में मंत्री रहने के बावजूद दिल्ली में अपना घर नहीं था। 24 अक्टूबर को कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री सीताराम केसरी की पुण्यतिथि है. चूंकि कांग्रेस पार्टी में नेहरू-गांधी परिवार से बाहर के नेताओं को याद करने
Read Moreदक्षिण अफ्रीका ने बिहार को बनाया टूरिज्म पार्टनर – अरुण कुमार
दक्षिण अफ्रीका और उसके आसपास के देशों में बसे भारतीयों और विशेषकर बिहारियों को बिहार के पर्यटन स्थलों का भ्रमण करने के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से यह कार्यक्रम तैयार किया गया है। पढ़ें- दक्षिण अफ्रीका, मॉरीशस, मेडागास्कर, कैरिबियाई देशों, सूरीनाम फ़िजी और अन्य देशों में जाकर बसने वालों में बिहार के लोगों की संख्या बहुत अधिक है। अंग्रेज़ी औपनिवेशिक काल में बिहार के मजदूरों को इन देशों में
Read Moreपटकथा लेखन के विभिन्न चरण- अरुण कुमार
हिन्दी GE के अंतर्गत ‘पटकथा व संवाद लेखन’ पढ़ने वाले विद्यार्थियों के लिए उपयोगी पटकथा लेखन एक श्रमसाध्य प्रक्रिया है। एक पटकथा लेखक जब किसी फिल्म या नाटक की पटकथा लिखने की शुरुआत करता है तो वह कई चरणों से होकर गुजरता है। किसी भी फ़िल्म की सफलता उसकी पटकथा पर भी निर्भर करती है। इस कारण पटकथा में सभी प्रकार की कमियों को यथासंभव दूर करने के उद्देश्य से
Read Moreपटकथा लेखन में दृश्य संरचना- अरुण कुमार
हिन्दी GE के अन्तर्गत ‘पटकथा व संवाद लेखन’ पढ़ने वाले विद्यार्थियों के लिए उपयोगी। ‘दृश्य संरचना’ पटकथा लेखन का अत्यंत महत्वपूर्ण तत्व होता है। दृश्यों के संयोजन से ही कहानी आगे बढ़ती है अर्थात जैसे-जैसे एक दृश्य के बाद दूसरे दृश्य को जोड़ते हैं कहानी आगे बढ़ती जाती है। फिल्मों में दृश्यों की श्रृंखला को ही हम पर्दे पर देखते हैं। दृश्य पटकथा की सबसे छोटी इकाई होते हैं। जब
Read More‘एकेडेमिक्स फ़ॉर नेशन’ के मंच से श्री सुशील मोदी ने देशभर के प्रोफेसरों को किया सम्बोधित
‘एकेडेमिक्स फ़ॉर नेशन’ राष्ट्रवादी प्राध्यापकों, शोधार्थियों का संगठन है जो भारत-केंद्रित परिप्रेक्ष्य के साथ विद्वतापूर्ण गतिविधियों में शामिल होने के लिए एक मंच प्रदान करता है। इसका उद्देश्य सर्वोत्तम शैक्षणिक मानकों के साथ एक गतिशील, उत्पादक और व्यावहारिक बौद्धिक परिदृश्य बनाने में सहयोग करना है। एकेडेमिक्स फ़ॉर नेशन राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्व के प्रासंगिक मुद्दों पर विद्वानों, शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं के लेख प्रकाशित करता है। विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर कार्यक्रम
Read Moreपटकथा लेखन की शैलियां- अरुण कुमार
हिन्दी GE के अंतर्गत ‘पटकथा व संवाद लेखन’ पढ़ने वाले विद्यार्थियों के लिए उपयोगी फ़िल्म की सफलता उसकी पटकथा लेखन की शैली पर बहुत अधिक निर्भर करती है। फिल्में सामान्यतः फैंटेसी, काल्पनिक या यथार्थवादी शैली की होती हैं। यह भी कहा जा सकता है कि सभी फिल्में यथार्थ और कल्पना के योग से बनी होती हैं। जिन फिल्मों में कल्पना के तत्व अधिक होते हैं उन्हें काल्पनिक और जिनमें यथार्थ
Read Moreआंकड़े बताते हैं कि लालू यादव सभी पिछड़ों के नेता नहीं हैं- अरुण कुमार
लालू प्रसाद यादव के बारे में कहा जाता है कि वे सभी अन्य पिछड़े वर्गों के नेता हैं लेकिन जब आंकड़ों की बात करें तो यह बात गलत साबित होती है। 2004 में बनी मनमोहन सिंह की सरकार में लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल भी शामिल हुई थी। मनमोहन सिंह कैबिनेट में उसे कैबिनेट, स्वतंत्र प्रभार और राज्यमंत्री के कई पोर्टफोलियो मिले थे। लालू यादव ने मंत्री बनाने
Read Moreजब महात्मा गांधी ने भूकम्प पीड़ितों की मदद के लिए अपने ऑटोग्राफ पाँच-पाँच रुपए में बेचे- अरुण कुमार
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को ‘महात्मा’ बनाने वाला बिहार का चंपारण जिला ही केवल बापू का कर्मक्षेत्र नहीं था। बिहार के कई शहरों और गांवों में महात्मा गांधी ने सामाजिक जनजागरुकता के कार्य किए थे। गांधी बिहार के भागलपुर भी आए थे और लोगों को स्वतंत्रता संग्राम के लिए एकजुट किया था। महात्मा गांधी वर्ष 1934 में यहां आए और भूकंप पीड़ितों की न केवल मदद की थी, बल्कि पीड़ितों के
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